चाश्त की नमाज़ पढ़ने का तरीका :-चाश्त की नमाज़ इस्लाम में एक खास इबादत है। इसे सूरज निकलने के बाद और दोपहर से पहले पढ़ा जाता है। इसे नमाज़-ए-इशराक और नमाज़-ए-दुहा भी कहा जाता है। यह नफ्ल नमाज़ है, यानी यह फर्ज़ नहीं है। इसे पढ़ने से सवाब मिलता है और अल्लाह की रहमत हासिल होती है।
चाश्त की नमाज़ का महत्व
इस नमाज़ के बारे में हदीसों में बहुत सी फज़ीलत आई हैं। पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि जो इंसान चाश्त की नमाज़ पढ़ता है, उसे अल्लाह तआला रिज़्क़ में बरकत देता है। यह नमाज़ गुनाहों को माफ करवाने का ज़रिया भी है।
हदीस में आता है:
“जो शख्स दिन में दो रकअत नमाज़ पढ़ता है, उसके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।” (मुस्लिम शरीफ)
चाश्त की नमाज़ का वक्त
चाश्त की नमाज़ का वक्त सूरज निकलने के बाद शुरू होता है। इसे सूरज के पूरी तरह उगने के 15-20 मिनट बाद पढ़ा जा सकता है। इस वक्त को इशराक का वक्त कहते हैं। चाश्त की नमाज़ दोपहर से पहले तक पढ़ी जा सकती है।
इसका सही वक्त सूरज निकलने के बाद लगभग 9:00 बजे से 11:00 बजे के बीच होता है। अगर आप इस वक्त में नमाज़ पढ़ते हैं, तो इसे चाश्त की नमाज़ कहा जाएगा।
रकअत की संख्या
चाश्त की नमाज़ में रकअतों की कोई तय संख्या नहीं है। लेकिन हदीसों में 2 से लेकर 12 रकअत तक का जिक्र मिलता है।
- कम से कम 2 रकअत पढ़ना सुन्नत है।
- ज्यादा से ज्यादा 12 रकअत पढ़ी जा सकती हैं।
- आम तौर पर लोग 4 रकअत या 8 रकअत पढ़ते हैं।
चाश्त की नमाज़ पढ़ने का तरीका
चाश्त की नमाज़ का तरीका दूसरी नफ्ल नमाज़ों की तरह ही है। इसे पढ़ने के लिए निम्नलिखित तरीके को अपनाएं:
- नियत करें:
- “मैं नफ्ल नमाज़, चाश्त की, अल्लाह के लिए पढ़ने की नियत करता/करती हूं।”
- तकबीर कहें:
- हाथ उठाकर “अल्लाहु अकबर” कहें और नमाज़ शुरू करें।
- सूरह फातिहा पढ़ें:
- पहले रकअत में सूरह फातिहा पढ़ें।
- इसके बाद कोई और सूरह या आयतें पढ़ें। उदाहरण के लिए, सूरह इखलास।
- रुकू और सजदा करें:
- रुकू और सजदा वैसे ही करें जैसे आम नमाज़ में करते हैं।
- दूसरी रकअत पूरी करें:
- दूसरी रकअत में भी सूरह फातिहा और कोई सूरह पढ़ें।
- रुकू और सजदा के बाद तशहुद (अत्तहियात) पढ़ें।
- सलाम फिरें:
- “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहकर नमाज़ खत्म करें।
- दुआ करें:
- चाश्त की नमाज़ के बाद अल्लाह से अपनी ज़रूरतों के लिए दुआ करें।
चाश्त की नमाज़ में खास दुआ
चाश्त की नमाज़ के बाद एक खास दुआ पढ़ी जा सकती है:
“अल्लाहुम्मा इन्न-न दुहाई दुहाऊका, वल बहाई बहाऊका, वल जमाली जमालुका, वल कुव्वाती कुव्वतूका, वल कुदरती कुदरातुका, वल इस्मती इस्मतूका। अल्लाहुम्मा इन कान रिज़की फिस्समाई फअनज़िलहू, वइन कान फिल-अरद फअखरिजहू।”
चाश्त की नमाज़ की फज़ीलत
- रिज़्क़ में बरकत:
चाश्त की नमाज़ पढ़ने से अल्लाह तआला रिज़्क़ में बरकत देता है। - गुनाह माफ होते हैं:
जो इंसान यह नमाज़ पढ़ता है, उसके पिछले छोटे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। - जन्नत में मकान:
जो रोज़ाना चाश्त की नमाज़ पढ़ता है, उसके लिए जन्नत में एक खास मकान तैयार किया जाता है। - सुकून और तसल्ली:
यह नमाज़ पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है और ज़िंदगी में सुकून आता है।
चाश्त की नमाज़ पढ़ने की सलाह
- कोशिश करें कि रोज़ाना यह नमाज़ पढ़ें।
- सुबह के वक्त का सही इस्तेमाल करें।
- अपने कामकाज से पहले अल्लाह की इबादत करें।
- यह नमाज़ पढ़ने से दिनभर के कामों में आसानी होती है।
चाश्त की नमाज़ पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. चाश्त की नमाज़ का मतलब क्या है?
चाश्त की नमाज़ एक नफ्ल इबादत है, जो सूरज निकलने के बाद से दोपहर से पहले तक पढ़ी जाती है। इसे नमाज़-ए-दुहा और नमाज़-ए-इशराक भी कहा जाता है।
2. चाश्त की नमाज़ का वक्त कब शुरू होता है?
चाश्त की नमाज़ सूरज निकलने के लगभग 15-20 मिनट बाद शुरू होती है और दोपहर से पहले तक इसका वक्त रहता है। आमतौर पर यह सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे के बीच पढ़ी जाती है।
3. चाश्त की नमाज़ कितनी रकअत होती है?
चाश्त की नमाज़ कम से कम 2 रकअत होती है। ज्यादा से ज्यादा 12 रकअत पढ़ी जा सकती हैं। आप अपनी सहूलियत के अनुसार 4 या 8 रकअत भी पढ़ सकते हैं।
4. क्या चाश्त की नमाज़ फर्ज़ है?
नहीं, चाश्त की नमाज़ फर्ज़ नहीं है। यह एक नफ्ल नमाज़ है, जिसे पढ़ने पर सवाब मिलता है, लेकिन न पढ़ने पर कोई गुनाह नहीं है।
5. चाश्त की नमाज़ पढ़ने का तरीका क्या है?
चाश्त की नमाज़ का तरीका नफ्ल नमाज़ की तरह ही है। नियत करें, तकबीर कहें, सूरह फातिहा और कोई दूसरी सूरह पढ़ें, फिर रुकू और सजदा करें। दूसरी रकअत पूरी करके सलाम फिरें।
6. चाश्त की नमाज़ पढ़ने से क्या फज़ीलत मिलती है?
चाश्त की नमाज़ पढ़ने से गुनाह माफ होते हैं, रिज़्क़ में बरकत होती है, और जन्नत में खास मकान मिलता है। यह अल्लाह की रहमत पाने का जरिया है।
7. क्या चाश्त की नमाज़ का वक्त दोपहर तक रहता है?
हां, चाश्त की नमाज़ का वक्त दोपहर से पहले तक रहता है। जब तक ज़वाल (सूरज के बिल्कुल सिर के ऊपर आने का वक्त) न हो, तब तक इसे पढ़ा जा सकता है।
8. क्या औरतें चाश्त की नमाज़ पढ़ सकती हैं?
जी हां, औरतें भी चाश्त की नमाज़ पढ़ सकती हैं। यह नमाज़ मर्द और औरत दोनों के लिए है।
9. क्या चाश्त की नमाज़ के लिए कोई खास दुआ है?
जी हां, चाश्त की नमाज़ के बाद एक खास दुआ पढ़ी जा सकती है। लेकिन अगर आपको यह दुआ याद नहीं है, तो कोई भी आम दुआ कर सकते हैं।
10. क्या रोज़ाना चाश्त की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है?
चाश्त की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी नहीं है, लेकिन इसे पढ़ने से सवाब मिलता है। इसे रोज़ाना पढ़ने की आदत बनाना चाहिए, क्योंकि यह अल्लाह की रहमत और बरकत पाने का अच्छा तरीका है।
11. चाश्त की नमाज़ न पढ़ने पर गुनाह होगा?
नहीं, चाश्त की नमाज़ न पढ़ने पर गुनाह नहीं होता, क्योंकि यह फर्ज़ नहीं है। लेकिन इसे पढ़ने से अल्लाह का करीब हासिल होता है।
12. चाश्त की नमाज़ और इशराक की नमाज़ में क्या फर्क है?
इशराक की नमाज़ सूरज निकलने के 15-20 मिनट बाद पढ़ी जाती है। जबकि चाश्त की नमाज़ का वक्त थोड़ा देर तक रहता है और इसे सुबह 9:00 बजे से दोपहर से पहले तक पढ़ा जा सकता है।
13. क्या चाश्त की नमाज़ के लिए वज़ू ज़रूरी है?
जी हां, चाश्त की नमाज़ के लिए वज़ू करना ज़रूरी है, जैसे बाकी नमाज़ों के लिए किया जाता है।
14. क्या चाश्त की नमाज़ घर में पढ़ सकते हैं?
हां, आप चाश्त की नमाज़ मस्जिद या घर कहीं भी पढ़ सकते हैं।
15. क्या चाश्त की नमाज़ पढ़ने से दिनभर के काम आसान होते हैं?
जी हां, चाश्त की नमाज़ पढ़ने से दिनभर के कामों में बरकत और आसानी होती है। यह एक सुकून देने वाली इबादत है।
निष्कर्ष
चाश्त की नमाज़ एक शानदार इबादत है। यह अल्लाह की रहमत और बरकत पाने का बेहतरीन तरीका है। इसे रोज़ाना पढ़ने की कोशिश करें। यह छोटी सी मेहनत है, लेकिन इसका सवाब बहुत बड़ा है। अल्लाह से हमेशा दुआ करें कि वह हमें सही रास्ते पर चलने की तौफीक दे।