तहज्जुद की नमाज़ का तरीका
इस्लाम में तहज्जुद की नमाज़ को विशेष महत्त्व दिया गया है। यह नफ्ल (स्वैच्छिक) इबादत है, जिसे अल्लाह के करीबी बंदे नियमित रूप से अदा करते हैं। यह रात के अंतिम पहर में पढ़ी जाती है और इसका मकसद अल्लाह से करीबी, दुआ और मग़फिरत की उम्मीद करना है। नीचे हम तहज्जुद की नमाज़ के तरीके को विस्तारपूर्वक समझाते हैं।
तहज्जुद की नमाज़ क्या है?
तहज्जुद का मतलब होता है रात में जागकर नमाज़ पढ़ना। यह नफ्ल इबादत है, जिसे कुरआन और हदीस में अत्यधिक महत्त्व दिया गया है। अल्लाह तआला ने इसे नेक बंदों की निशानी बताया है। कुरआन में कहा गया है:
“और रात के समय कुछ देर के लिए अल्लाह के सामने सजदा कर, और उसके सामने खड़े हो।” (सूरह अल-इन्सान: 26)
तहज्जुद की नमाज़ का समय
तहज्जुद की नमाज़ का सही समय रात के अंतिम पहर में है। इसे पढ़ने का समय ईशा की नमाज़ के बाद शुरू होता है और फज्र की नमाज़ से पहले समाप्त होता है। इसे पढ़ने का सबसे उत्तम समय रात का एक तिहाई हिस्सा है, जब लोग गहरी नींद में होते हैं।
समय का विभाजन:
- पहला पहर: ईशा के तुरंत बाद।
- दूसरा पहर: आधी रात।
- तीसरा पहर: रात का अंतिम हिस्सा। (सबसे बेहतरीन समय)
तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का तरीका
1. नीयत करें
तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से पहले पक्का इरादा करें। यह दिल में तय करें कि आप अल्लाह की रज़ा के लिए यह इबादत कर रहे हैं।
2. ईशा की नमाज़ पढ़ें
तहज्जुद की नमाज़ से पहले ईशा की नमाज़ पढ़ना अनिवार्य है।
3. सोकर उठें
रात के बीच में उठकर तहज्जुद की नमाज़ पढ़ी जाती है। इसे अदा करने के लिए वुजू करना आवश्यक है।
4. रकअत की संख्या
तहज्जुद की नमाज़ में कम से कम 2 रकअत और ज्यादा से ज्यादा 12 रकअत पढ़ी जा सकती हैं।
- पहली 2 रकअत पढ़कर अल्लाह से दुआ करें।
- इसके बाद जितनी संभव हो उतनी रकअत पढ़ें।
5. कुरआन की तिलावत करें
हर रकअत में सूरह अल-फातिहा के बाद कोई दूसरी सूरह पढ़ें।
उदाहरण:
- पहली रकअत: सूरह फातिहा + सूरह इखलास।
- दूसरी रकअत: सूरह फातिहा + सूरह नास।
6. लंबी सजदा करें
तहज्जुद की नमाज़ में सजदा को लंबा करना पसंदीदा है। इस दौरान अल्लाह से अपनी गलतियों की माफी मांगे और अपनी हाजतों के लिए दुआ करें।
तहज्जुद की नमाज़ के फायदे
1. अल्लाह की रज़ा
तहज्जुद की नमाज़ अल्लाह की रज़ा हासिल करने का बेहतरीन तरीका है। यह नेक बंदों की पहचान है।
2. दुआओं की कबूलियत
रात के इस वक्त अल्लाह अपने बंदों के करीब होता है। यह दुआ करने और अपनी हाजतों को पेश करने का सबसे अच्छा समय है।
3. आत्मा की शुद्धि
तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है और आत्मा शुद्ध होती है।
4. नेकियों में बढ़ोतरी
तहज्जुद नियमित रूप से पढ़ने वाले को अल्लाह के फरिश्तों के समान नेक बना दिया जाता है।
तहज्जुद की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दुआएं
1. इस्तिग़फार की दुआ
“अस्तग़फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़ंबिन व अतूबु इलैहि।”
2. अल्लाह से मदद की दुआ
“रब्बाना आतिना फ़ीद्दुनिया हसनतं व फ़ील आखिरति हसनतं वक़िना अज़ाबन्नार।”
3. निजी हाजतों के लिए दुआ
आप अपनी जरूरत और समस्याओं के लिए अपने अल्फाज़ में दुआ कर सकते हैं।
तहज्जुद की नमाज़ से जुड़े सवाल
तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के लिए सोना ज़रूरी है?
जी हाँ, तहज्जुद की नमाज़ के लिए थोड़ी देर सोने के बाद उठना बेहतर है। हालाँकि अगर सोने का समय न हो, तो बिना सोए भी पढ़ सकते हैं।
क्या तहज्जुद की नमाज़ हर रोज़ पढ़ना ज़रूरी है?
नहीं, यह नफ्ल इबादत है। इसे अपनी सुविधा और समयानुसार पढ़ा जा सकता है।
क्या तहज्जुद की नमाज़ अकेले पढ़ी जाती है?
जी हाँ, इसे अकेले और शांत माहौल में पढ़ना पसंदीदा है।
निष्कर्ष
तहज्जुद की नमाज़ एक अनमोल इबादत है, जो अल्लाह के करीब जाने और उसकी रहमत हासिल करने का बेहतरीन जरिया है। इसे नियमित रूप से पढ़ने की कोशिश करें और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे।