मगरिब की नमाज़ का तरीका :- मुसलमानों के लिए पाँच वक्त की नमाज़ फरज़ है, और मगरिब की नमाज़ इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सूरज डूबने के तुरंत बाद पढ़ी जाती है। इस लेख में, हम मगरिब की नमाज़ का सही तरीका हिंदी में विस्तार से बताएंगे।
मगरिब की नमाज़ का समय
मगरिब की नमाज़ का समय सूरज डूबने के तुरंत बाद शुरू होता है और इशा की नमाज़ के समय से पहले तक रहता है। इसे जल्दी पढ़ना बेहतर होता है।
मगरिब की नमाज़ के रकअत
मगरिब की नमाज़ कुल मिलाकर 5 रकअत होती है:
- फर्ज़: 3 रकअत
- सुन्नत-ए-मुअक्कदा: 2 रकअत
मगरिब की नमाज़ का तरीका
1. नीयत करें
- खड़े होकर दिल में यह नीयत करें कि आप मगरिब की फर्ज़ नमाज़ अदा कर रहे हैं।
- ऊँची आवाज़ में नीयत पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।
2. तकबीर-ए-तहरीमा
- “अल्लाहु अकबर” कहकर नमाज़ शुरू करें।
- हाथों को कानों तक उठाएँ और फिर उन्हें नाभि के नीचे बाँध लें।
3. सूरह फातिहा पढ़ें
- “सना” (सुभानक अल्लाहुमा…) पढ़ें।
- उसके बाद “सूरह फातिहा” (अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन…) पढ़ें।
- इसके बाद किसी और सूरह (जैसे सूरह इखलास) की तिलावत करें।
4. रुकू करें
- “अल्लाहु अकबर” कहकर रुकू में जाएँ।
- कमर सीधी रखें और “सुभाना रब्बियल अज़ीम” तीन बार पढ़ें।
5. सिजदा करें
- “अल्लाहु अकबर” कहते हुए सिजदे में जाएँ।
- माथा, नाक, दोनों हाथ, घुटने और पैर की उंगलियाँ ज़मीन पर रखें।
- “सुभाना रब्बियल अ’ला” तीन बार पढ़ें।
6. दूसरी रकअत
- “अल्लाहु अकबर” कहते हुए दूसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएँ।
- पहली रकअत की तरह ही सूरह फातिहा और दूसरी सूरह पढ़ें।
- रुकू और सिजदा करें।
7. तशहुद पढ़ें
- दूसरी रकअत के सिजदे के बाद “अत्तहियातु लिल्लाह…” पढ़ें।
8. तीसरी रकअत
- तीसरी रकअत में फिर से सूरह फातिहा और एक सूरह पढ़ें।
- रुकू और सिजदा करें।
- तशहुद, दरूद शरीफ और दुआ पढ़ें।
9. सलाम फेरें
- दाएँ और बाएँ तरफ “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहें।
- इस तरह आपकी 3 रकअत फर्ज़ नमाज़ पूरी होती है।
सुन्नत-ए-मुअक्कदा पढ़ने का तरीका
- 2 रकअत सुन्नत-ए-मुअक्कदा मगरिब की फर्ज़ नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है।
- यह फर्ज़ के समान ही अदा की जाती है।
नमाज़ के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
- पूरे दिल से अल्लाह पर ध्यान केंद्रित करें।
- हर हरकत में आराम और इत्मिनान रखें।
- अरबी में सही उच्चारण का ख्याल रखें।
मगरिब की नमाज़ के फायदे
- यह दिनभर के पापों को माफ करने का साधन है।
- अल्लाह के करीब जाने का एक तरीका है।
- यह आत्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है।
निष्कर्ष
मगरिब की नमाज़ इस्लाम में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे सही तरीके से और समय पर पढ़ना चाहिए। इस लेख में बताए गए तरीके का पालन करें और अपनी इबादत को सही बनाएं।
अल्लाह तआला हम सबकी नमाज़ें कुबूल फरमाए। आमीन।