आज़ यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास व ज़रूरी दुआ यानी कि Inteqal Ki Dua जानेंगे जो हम सभी को ज़रूर मालूम होना चाहिए।
जिसे किसी भी मोमिन या मोमिना का ज़िंदगी से रुखसत पाए जाने पर इस दुआ को पढ़ कर उनकी मगफिरत करा सकें और रूह को सुकून पहुंच सके।
अगर आप को यह दुआ याद होगी तो किसी का भी गुज़र जाने का ख़बर सुने तो आप आसानी से पढ़ सकेंगे इसीलिए आप यहां ध्यान से पढ़ कर याद रख लें।
Inteqal Ki Dua
यहां पर इंतकाल की दुआ हिंदी के साथ साथ अरबी और इंग्लिश के साफ़ लफ्ज़ों में और साथ ही तर्जुमा के साथ भी लिखा गया है।
जिसे आप अपने मुताबिक़ सही जबान में आसानी से और सही सही इंतकाल की दुआ पढ़ सकें और फिर कहीं भी नहीं खोजना पड़े।
Inteqal Ki Dua In Hindi
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
Inteqal Ki Dua In Arabic
إِنَّا ِلِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ
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Inteqal Ki Dua In English
Inna Lillahi Wa inna ilayhi Raji’un
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Inteqal Ki Dua Ka Tarjuma
हम अल्लाह के हैं और उसी की तरफ लौट कर जाना है।
किसी की इंतकाल की खबर सुने तो क्या कहें?
उस वक्त बहुत ही दुख होती है जब हम किसी का रूखसत पा जाने की खबर सुनते हैं लेकिन क्या करे यही हकीकत भी है।
हम सब को एक दिन रूखसत पाना ही है इसे हम और आप कोई नहीं बच सकते हैं रूखसत पाए जाने की खबर सुने तो इस इंतकाल की दुआ को पढ़ें।
और उनकी हर एक छोटे बड़े गुनाहों को मुआफ़ कर दें जो आपके साथ किया हो और उनकी हक में ज्यादा से ज्यादा दुआ करें।
किसी की इंतकाल की खबर सुने तो क्या करें?
इसके साथ साथ खुद भी तौबा करते रहे जी हां बिल्कुल पता नहीं कब रूखसत होना पड़ जाए और हमलोग गुनाहों के दौलत से मालामाल हैं।
यह हमें और आपको तो क्या किसी को भी एक पल का मौका नहीं देती।
इसके बाद जिसने इंतकाल की हो उसके हक में ज्यादा से ज्यादा दुरूद पाक सूरह या फिर कुरान पाक पढ़ते हैं तो इसे भी खूब पढ़ें।
जिसे उनके रूह को आराम मिले कब्र की अजाब से बच सकें।
अगर आप उनके करीबी हैं तो सब्र रखें और दुआ मगफिरत ज्यादा से ज्यादा करे, होता नहीं है सब्र, लेकिन करना तो है न।
और उनके जो बेहद करीबी हैं आप उन पर भी गौर करें उन्हें भी समझाने की कोशिश करें।
इन्ना लिल्लाहि इस दुआ को और कब पढ़ा जाता है?
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन इस दुआ को आप इसके अलावा मुसीबत या फिर किसी सख्त मुसिबत के वक्त भी पढ़ सकते हैं।
आज हम में से किसी का भी सहारा कोई हो या न हो लेकिन हमारा रब सहारा है इसी लिए तो इस दुआ की तर्जुमा से हम कहते हैं कि हम अल्लाह के हैं।
इस दुआ को हम सब का रब अल्लाह तआला ने हर तरह के छोटे से छोटे बड़े से बड़े पैमाने के मुसीबत आने पर पढ़े जाने की बात कही है।
हम तुम्हें खौफ और भूख से और मालों और जानों और फलों नुकसान से जरुर आजमाएंगे।
लेकिन सब्र करने वालों को अच्छी ख़बर दे दो कि जब उन पर मुसीबत आए तो वो इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन बोल उठे।
उन्हीं लोगों पर परवरदिगार की तरफ से इनायते, रहमत व हिदायत है।
यह सूरह बकरह की 155, 156 और 157 आयत की तर्जुमा से छांट कर लिखी गई है तर्जुमा जानने के लिए सूरह के साथ तर्जुमा पढ़ें।
अंतिम लफ्ज़
अब तक तो आप भी इंतकाल की दुआ पढ़ कर याद रख लिए होंगे और किसी भी आशिक ए रसूल के रुखसत पाए जाने पर ज़रूर पढ़ेंगे।
हमने यहां दुआ के साथ साथ और भी बेहतरीन बातें बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में पेश किया था जिसे आप पढ़ कर आसानी से समझ जाएं।
अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल या फिर किसी तरह का कोई डाउट भी हो तो आप हमसे कॉन्टेक्ट अस पेज के ज़रिए जरूर पूछें।